Class 12th PSYCHOLOGY Subjective Question Answer 1 2022 Pdf Download

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आज के इस post में आप सभी के लिए Class 12 PSYCHOLOGY का subjective Question Paper -1यानि Question Bank 2021 (subjective Question), (Short Question ) (Long Question ) PSYCHOLOGY Question Paper 2021 Class 12 pdf With Answer In Hindi Medium Class 12 PSYCHOLOGY Sample Paper 2021 – 22 in Hindi Pdf Download

 

प्रश्न 1. वैयक्तिक भिन्नता क्या है ?

उत्तर-जब दो बालक विभिन्न समानताएँ रखते हुए भी आपस में भिन्न व्यवहार करते हैं तो इसे “वैयक्तिक भिन्नता’ कहा जाता है । वैयत्कि भिन्नता

से अभिप्राय है कि प्रत्येक व्यक्ति में जैविक, मानसिक, सांस्कृतिक, स अन्तर पाया जाना। इसी अन्तर के कारण एक व्यक्ति, दूसरे से मि जाता है। अतः कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं होते । यहाँ तक कि जुड़वा म भा असमानता पाई जाती है। इस दृष्टि से वैयक्तिक भिन्नता प्रकृति द्वारा प्रदत स्वाभाविक गुण है।

 

 

प्रश्न 2. बुद्धि मापन के किन्हीं दो परीक्षणों का वर्णन करें।

उत्तर-विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने बद्धि मापने के लिए कई तरह का पक्षिणों का निर्माण किया है। इन सभी परीक्षणों को चार भागों में बाँटा जा सकता है

(i) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण-शाब्दिक बद्धि परीक्षण के अन्तर्गत वैस परीक्षण आते हैं जिसके एकांश लिखित होते हैं। बुद्धि मापे जाने वाले व्यक्ति उन एकांशों को पढ़कर एवं समझकर उत्तर देते हैं। इस प्रकार के कुछ परीक्षण वैयक्तिक तथा कुछ सामूहिक होते हैं। वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से एक-एक समय में एक ही व्यक्ति की बुद्धि मापी जाती है जबकि सामूहिक से एक समय में कई व्यक्तियों की बुद्धि का मापन होता है।

(ii) अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण-अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण से तात्पर्य वैसे परीक्षण से है जिनके एकांश लिखित न होकर चित्रों के रूप में होता है । इस प्रकार के परीक्षण में छोटे बच्चे, कम पढ़े-लिखे लोगों तथा मानसिक मंद व्यक्तियों की भी बुद्धि मापी जा सकती है।

 

 

प्रश्न 3. संवेगात्मक बुद्धि क्या है?

उत्तर-संवेगात्मक बुद्धि अपने और दूसरे के भावों को पहचानने की क्षमता द्वारा अपने आप को अभिप्रेरित करके एवं अपने संबंधों में संवेग को प्रतिबंध करने की क्षमता है।

 

 

प्रश्न 4. प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर-प्रतिभाशाली बालकों की पहचान उनकी विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है। ऐसे बालकों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(i) मानसिक गुण-प्रतिभाशाली बालकों में सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक मानसिक योग्यता होती है।

(ii) शारीरिक गुण-सामान्य बालकों की तुलना में प्रतिभाशाली बच्चे अधिक लम्बे तथा भारी बदन के होते हैं।

(ii) सीखने की योग्यता-प्रतिभाशाली बालकों में सीखने की योग्यता सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक होती है। इनका शब्द भंडार बड़ा होता है।

(iv) चिंतन-प्रतिभाशाली बालक सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक अमूर्त चिंतन करते हैं।

(v) ध्यान विस्तार-प्रतिभाशाली बालकों का ध्यान विस्तार अधिक होता है। वे किसी विषय पर ध्यान को अधिक समय तक केन्द्रित कर सकते हैं।

(vi) सामाजिक गुण-प्रतिभाशाली बालक सामान्य बालकों की तुलना में अधिक सामाजिक होते हैं। ऐसे बच्चों में नेतृत्व का गुण पाया जाता है।

 

 

प्रश्न 5. सर्जनात्मकता को समझाइये।

उत्तर-सृजनात्मकता अथवा रचनात्मकता किसी वस्तु, विचार, कला. साहित्य संबद्ध किसी समस्या का समाधान निकालने आदि के क्षेत्र में कुछ नया रचने, आविष्कृत करने या पुनर्सजित’ करने की प्रक्रिया है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है जो भौतिक परिवर्तनों को जन्म देती है।

 

 

प्रश्न 6.शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर-शेल्डन ने भी व्यक्तित्व का विभाजन शारीरिक आधार पर किया है। उन्होंने व्यक्तित्व के तीन प्रकारों की चर्चा की है।

 

 

1.एण्डोमार्फिक (endomorphic)-एण्डोमार्फिक व्यक्तित्व वाले व्यक्ति अधिक मोटे होते हैं। इनके पेट पर चर्बी होती है जिससे तोंद निकली रहती है, ये थोड़े काम करने पर ही थक जाते हैं। ऐसे लोग आराम ,

की चचाजकिक व्यापकली रहता

भोजनप्रिय होते हैं। इनकी तुलना क्रेश्मर के पिकनिक व्यक्तित्व से की जा सकती है। ऐसे व्यक्ति सामाजिक एवं खुशमिजाज होते हैं। ऐसी चित्त प्रकति वाले व्यक्ति को विसेरोटोनिया (Viscerotonia) की संज्ञा दी जाती हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों में नेता का गुण पाया जाता है।

 

2.मेसोमार्फिक (Mesomorphic)-मेसोमार्फिक व्यक्तित्व के लोगों का शरीर काफी सुडौल होता है।

इनकी हड्डियाँ कड़ी और मांसपेशियाँ बहत अधिक विकसित होती हैं। ये मजबूत और फुर्तीले होते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति मेहनत करनेवाले, कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करनेवाले होते हैं। खेल में ये आगे रहते हैं। इस प्रकार के चित्तप्रकृति वाले व्यक्ति को सेरेब्रोटानियाँ (cerebrotonia) कहा जाता है।

 

 

 

3.एक्टोमाफिक (Ectomorphic) एक्टोमार्फिक के अन्तर्गत वैसे व्यक्ति आते हैं जिनका शरीर दुबला-पतला होता है।

इनकी हड्डियाँ कमजोर होती हैं। ये समस्या से बहुत जल्द घबराने वाले होते हैं और जल्द ही उत्तेजित हो जाते हैं। ऐसे चित्तप्रकृति वाले को शेल्डन ने सेरेब्रोटोनियाँ (cerebrotonia) कहा है।

 

 

प्रश्न 7. संस्कृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर-संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप . का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने. नृत्य-गायन, साहित्य-कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है।

 

 

प्रश्न 8. पराहं की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर-यह मन के गत्यात्मक पहलू का सबसे अन्तिम भाग है जिसका संबंध नैतिकता से होता है। सुपर इगो या पराहं को समझने का और इसकी विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रकार्यों की नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए । सुपर इगो इड और इगो को बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं।

 

 

प्रश्न 9. दमन का संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर-दमन एक ऐसे अहं प्रतिरक्षा प्रक्रम है जिसमें व्यक्ति की इच्छाएँ विशेषकर असामाजिक, अनैतिक एवं अपूरित इच्छाएँ अचेतन में चली जाती हैं।

और तब व्यक्ति उनके बारे में सबकुछ भूल जाता है और उनसे उत्पन्न होने वाली चिंता से मुक्त हो जाता है।

 

प्रश्न 10. समय प्रबन्धन का संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर-भिन्न भिन्न कार्यों को करने के लिए लगाये गए समय और उनको करने के क्रम को सोच-विचार कर व्यवस्थित करना समय प्रबंधन कहलाता. है। समुचित समय प्रबंधन से दक्षता मिलती है, उत्पादकता बढ़ती है और कार्य सही समय पर पूरे होते हैं।

 

प्रश्न 11. सामाजिक तनाव का वर्णन करें।

उत्तर-हमारी वर्तमान सभ्यता में सामाजिक तनाव के अवसर अत्यधिक बढ़ गए हैं। अक्सर अफवाहों के चलते न केवल सामाजिक तनाव फैल जाता है अपितु कानून और व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो जाती है।

 

प्रश्न 12. मद्यपानता संबंद्ध विकार पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर-मद्यपानता को मद्य निर्भरता के रूप में भी जाना जाता है, जो निर्योग्यकारी व्यसनकारी धिकार है। शराब अर्थात अल्कोहल पीनेवाले की सेहत, संबंधों और सामाजिक हैसियत पर इसके नकारात्मक प्रभाव के बावजूद जरबदस्त और अनियंत्रित शराब सेवन द्वारा इसकी चारित्रिक विशेषता बतायी गयी है। .

 

प्रश्न 13. अंतर समूह संघर्ष से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-संघर्ष या द्वंद्व से तात्पर्य दो या अधिक समूहों के बीच मतभेद, प्रतिरोध, विरोध आदि से है। एक ही समूह के अन्दर भी द्वन्द्व हो सकता है। इस स्थिति में अन्त:समूह द्वन्द्व कहते हैं।  माडतभर करता है।

सनात्मक, प्रतिकिन कहा है, “

 

प्रश्न 14. फ्रायड के तीन स्तरों वाली अवधारणा क्या है ?

उत्तर-मनोविश्लेषण के जन्मदाता सिगमंड फ्रायड ने मन के गत्यात्मक पहलुओं का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया और तीन स्तरों वाली अवधारणा प्रस्तत की। ये स्तर हैं-इंड, इगो, सुपर इगो ।

इंड मन के गत्यात्मक पहलू का प्रथम भाग है। प्रारंभ में बच्चा केवल इड से प्रभावित रहता है। इड को न तो समय का ज्ञान रहता है न वास्तविकता का वह मूल प्रवृत्तियों का भंडार है, जो हर हाल में आदर प्राप्त करना चाहता है।

इगो मन के गत्यात्मक पहलू का वह भाग है जिसका संबंध वास्तविकता से होता है। फ्रायड ने इसे मैसबिवदेबपवने पदजमसपहमदबम कहा है। यह इड और सुपर इगो के बीच संतुलन स्थापित करता है। इगो चेतन और अचेतन दोनों होता है। ब्राउन ने कहा है कि इगो व्यक्तित्व का वह भाग है जो एक तरफ बाह्य जगत् के संपर्क में रहता है और दूसरी तरफ इड के संपर्क में होता है। यह विचार निर्णय, व्याख्या और कुशल बनाने का प्रयास करता है।

सुपर इगो व्यक्तित्व का वह भाग है जिसे विवेक कहा जाता है । यह हमें सभ्य मानव की तरह व्यवहार करना सिखाता है। इस प्रकार यह इड की असंगत इच्छाओं की पूर्ति में बाधा डालता है। .

 

प्रश्न 15. परामर्श दाता की किन्हीं दो विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर-परामर्शदाता का कार्य एक अति विशिष्ट कार्य है। अतः परामर्शदाता को काफी प्रभावशाली होना आवश्यक है, तभी लाभार्थी उसके परामर्श से लाभ उठा सकते हैं। एक प्रभावशाली परामर्शदाता बनने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने उसमें कुछ विशेषताओं की चर्चा की है जिनमें निम्नलिखित प्रमुख है- .

(i) स्व की समझ और जागरूकता-स्व से तात्पर्य परामर्शदाता की अपनी आवश्यकताओं तथा अपने सामर्थ्य की समझ से है। वह लाभार्थी को किस हद तक संतुष्ट कर सकता है आदि बातों की समझ होनी चाहिए।

(ii) मानसिक रूप से स्वस्थ-एक कुशल परामर्शदाता का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। यदि परामर्शदाता खुद मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तो वह लाभार्थी की चिंता को और बढ़ा देगा।

(iii) ध्यान केंद्रित करने की क्षमता-परामर्शदाता लाभार्थी के बातों को ध्यान से सुनता हैं एवं उसे अपनी बात को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। इस प्रकार का प्रोत्साहन वाचिक या अवाचिक कुछ भी हो सकता है। वाचिक में हाँ, अच्छा आदि एवं अवाचिक में चेहरे की अभिव्यक्ति द्वारा उसकी बातों पर प्रक्रिया व्यक्त करता है।

 

प्रश्न 16. अभिवृत्ति क्या है ? अभिवृत्तियाँ कौन-कौन से कार्य संपादित करती है?

उत्तर-अभिवृत्ति से तात्पर्य व्यक्ति की उस मानसिकता से है जो विशेष परिस्थितियों को निर्देशित करती है। मनोवृत्ति अनुकूल या प्रतिकूल कुछ भी हो सकती है, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अभिवृत्ति को परिभाषित करते हुए आल्पोर्ट ने कहा है, “अभिवृत्ति प्रेरणात्मक संवेगात्मक, प्रत्यक्षात्मक, ज्ञानात्मक, प्रतिक्रियाओं का चिरस्थायी संगठन है, जिसका संबंध व्यक्ति के सामाजिक वातावरण के पहलओं से रहता है।

सेकर्ड तथा बैकमैन के अनुसार, “व्यक्ति के पर्यावरण के कुछ पहलुओं के प्रतिमानों, विचारों और अनुक्रियाओं को करने की पूर्व प्रवृत्तियाँ कहा जाता है।”

अभिवृत्तियाँ मुख्य रूप से चार प्रकार के कार्यों को करती है। सबसे पहले अभिवृत्तियाँ सामाजिक समूह को परिभाषित करने के लिए आधार प्रदान करती है। अभिवृत्तियाँ व्यक्ति को अपने पहचान बनाए रखने में सहायक होती है। अभिवृत्तियाँ चिंतन एवं व्यवहार को निर्देशित करती हैं तथा सामाजिक स्तर पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

प्रश्न 17. समूह हमारे व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं ?

उत्तर-समूह एवं व्यक्ति हमारे व्यवहार की प्रभावित करते हैं । यह प्रभाव हमलोगों को अपने व्यवहार को एक विशिष्ट दिशा में परिवर्तित करने के लिए बाध्य कर सकता है। सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों को काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित करते हैं। दिन भर में हम अनेक ऐसी स्थितियों की सामना कर सकते हैं जिसमें दूसरों ने हमें प्रभावित करने का प्रयास किया हो

और हमें उस तरीके से सोचने को विवश किया हो जैसा वे चाहते हैं। माता पिता, अध्यापक, मित्र, रेडियो तथा टेलीविजन विज्ञापन आदि किसी न किसी प्रकार का सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। सामाजिक प्रभाव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। कुछ स्थितियों में हम लोगों पर सामाजिक प्रभाव बहुत अधिक प्रबल होता है जिसकी परिणामस्वरूप हमलोग उस प्रकार के कार्य करने की ओर प्रवृत्त होते हैं जो हम दूसरी स्थितियों में नहीं करते। दूसरे अवसरों पर हम दूसरे लोगों के प्रभाव को नकारने में समर्थ होते हैं और यहाँ तक कि हम उन लोगों को अपने विचार या दृष्टिकोण को अपनाने के लिए अपना प्रभाव डाल सकते हैं।

 

प्रश्न 18. मानव व्यवहार पर दूरदर्शन के प्रभाव का वर्णन करें।

उत्तर-दूरदर्शन आधुनिक समय का सबसे महत्त्वपूर्ण जनसंचार माध्यम है। व्यवहार पर दूरदर्शन का सार्थक प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार दो तरह के प्रभाव पड़ते देखे जाते हैं

(i) धनात्मक प्रभाव-दूरदर्शन एक महत्त्वपूर्ण शैक्षिक माध्यम का कार्य करता है। इससे बच्चों एवं बड़ों दोनों को ही ज्ञानबर्द्धक सूचनाएँ प्राप्त होती है। दूरदर्शन देखने से बच्चों में संख्या एवं अक्षर कौशल मजबूत होते हैं। जिससे बच्चों का शब्दकोष भी बड़ा होता है। कुछ अध्ययनों में यह पाया गया देखने वाले व्यक्तियों में किसी लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता तथा किसी चीज को समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। दूरदर्शन देखने से बच्चों में काल्पनिक खेल को बढ़ावा मिलता है।

(ii) ऋणात्मक प्रभाव-मानव व्यवहार पर दूरदर्शन का कुछ अवांछनीय एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ता दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने वाले बच्चों में निष्क्रियता बढ़ जाती है तथा इनके घर से बाहर किए जाने अन्तःक्रियाओं में कमी आ जाती हैं। बच्चों में ने एवं लिखने की आदत थोड़ा कमजोर हो जाती है। दूरदर्शन के कुछ कार्यक्रम को देखकर किशोर एवं किशोरियाँ पथभ्रष्ट हो जाते हैं। अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है दूरदर्शन पर आक्रामक दृश्यों को देखने से दिन-प्रतिदिन की जिन्दगी में बच्चे पहले से अधिक आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं।

इस प्रकार स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि दूरदर्शन का मानव व्यवहार पर अच्छे एवं बुरे दोनों के प्रभाव पड़ते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

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