आज के इस post में आप सभी के लिए Class 12 POLITICAL SCIENCE का subjective Question Paper-3 यानि Question Bank 2021 (subjective Question), (Short Question ) (Long Question ) POLITICAL SCIENCE Question Paper 2021 Class 12 pdf With Answer In Hindi Medium Class 12 POLITICAL SCIENCE Sample Paper 2021 – 22 in Hindi Pdf Download
प्रश्न 1. एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या है?
उत्तर-एमनेस्टी इंटरनेशनल एक स्वयं सेवी संगठन है। यह सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाया है।
यह संगठन मानवाधिकारों से संबंधित रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करता है। उसकी रिपोर्ट से कई सरकारों की किरकिरी हो जाती है, क्योंकि यह उनके दुर्व्यवहार की चर्चा करता है।
प्रश्न 2. ‘सामूहिक सुरक्षा’ से क्या समझते हैं ?
उत्तर-सामूहिक सुरक्षा है मानव का अस्तित्व और देश का जीवन खतरों से भरा होता है इस खतरे से मुक्ति का मतलब होता है सामूहिक सुरक्षा ।
प्रश्न 3. क्षेत्रीय दलों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-1990 ई. के बाद देश में क्षेत्रीय पार्टी की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गई जिसने बड़ी पार्टी तथा कांग्रेस, भाजपा तथा जनता दल को विवश किया कि वे छोटी पार्टियों के साथ तालमेल बढ़ायें । यद्यपि 1990 ई. से पूर्व कई राज्यों यथा-तमिलनाडु, असम, आन्ध्रप्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय दल सत्ता संभाल चुकी थी।
1996 ई. में उन्हें केन्द्रीय स्तर पर भी सत्ता में भागीदारी मिली । देवगौड़ा, गुजराल, वाजपेयी व मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में इन सभी छोटे दलों को स्थान मिला जिन्होंने इससे पूर्व केन्द्रीय स्तर पर सत्ता का मुँह नहीं देखा था। सभी घटकों की सहमति से न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना और सरकार का संचालन होने लगा। जो दल या गुट बिल्कुल महत्त्वहीन थे । वे अपनी प्रभावशाली निर्णायक भूमिका निभाने लगे।
वर्तमान समय गठबंधन सरकारों का आ गया है जिसमें क्षेत्रीय दलों का महत्व बढ़ना एक स्वाभाविक घटना है।
प्रश्न 4. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 पर संक्षेप में लिखें।
उत्तर-भारतीय संसद द्वारा 31 अगस्त, 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत समस्त भारतीय क्षेत्र को सिर्फ दो भाग-(क) स्वायत्त राज्य और (ख) केन्द्र-शासित क्षेत्र की इकाइयों के विभाजित करने का निर्णय लिया गया। स्वायत्त राज्य में 14 राज्य एवं केन्द्र-शासित क्षेत्र के अधीन छह क्षेत्र रखे गये थे। राज्य पुनर्गठन अधिनियम द्वारा की गई व्यवस्था के बावजूद राज्य संगठन की संभावना का अंत नहीं हुआ और नये-नये राज्यों का निर्माण भारत संघ में होता रहा। 1960 ई. में बंबई को विभाजित कर महाराष्ट्र एवं गुजरात, 1970 ई. में मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, असम, 1976 ई. में पंजाब को विभाजित कर पंजाब तथा हरियाणा तथा 2000 ई. में झारखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखण्ड का निर्माण हुआ। इसके अलावा भी देश कई भागों में राज्य निर्माण हेतु संघर्ष चलाए जा रहे हैं।
प्रश्न 5. राजनीतिक ‘दल-बदल’ का अर्थ क्या है?
उत्तर-जब किसी इल के सदस्य चुनाव से पहले या निर्वाचित होने के बाद अपने राजनीतिक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो जाता है, दल-बदल कहलाता है । दल-बदल अपनी राजनीतिक इच्छा की पूर्ति या पार्टी में उपेक्षित महसूस करने की स्थिति में कोई सदस्य पार्टी की सदस्यता छोड़ते हैं। पार्टी के आदेश के उल्लंघन के कारण पार्टी से उन्हें निकाल भी दिया जाता है। इसके अन्तर्गत सदस्य अपनी मर्जी से भी पार्टी छोड़ सकते हैं। 1985 ई. में 52वाँ संविधन संशोधन लाकर दल-बदल को रोकने का प्रयास किया गया, जो नाममात्र का साबित हुआ । पुनः 1991 ई. में संविधान संशोधन द्वारा एक नया कानून लाया गया, जिसके अनुसार यदि कोई सदस्य दल-बदल करता है तो वह सदन की सदस्यता खो देगा और किसी भी राजनीतिक पद के लिए अयोग्य होगा। अध्यक्ष का फैसला इस मामले में अंतिम माना जाएगा।
प्रश्न 6. ‘अन्ना आंदोलन’ क्या है?
उत्तर-अन्ना हजारे एक गाँधीवादी समाजसेवी हैं। देशव्यापी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोक पाल, अर्थात् सशक्त लोकपाल कानून की माँग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे दिल्ली के जंतर-मंतर पर 5 अप्रैल, 2011 को भूख हड़ताल पर बैठे। इसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन जोर पकड़ा। इसकी तुलना वर्ष 1977 के जयप्रकाश नारायण (जे.पी.) आंदोलन से होने लगी। सरकार को भी आंदोलन के आगे झकना पड़ा। लोकपाल बिल का ड्राफ्ट बनाने में अन्ना की टीम शामिल हुई। लेकिन, सरकार के उदासीन हो जाने के बाद अन्ना 16 अगस्त, 2011 को फिर आमरण अनशन पर बैठे। देश अन्ना के साथ खड़ा हो गया । सरकार एक बार फिर झारखण्ड माध्यम से सामाजिवदेशी निवेश क्वाली वस्तुओं पर हो गया है । फिर झुका । लेकिन इसके बाद आंदोलन की धार कंद होने लगी। मुम्बई में दिसम्बर 2011 में आजाद मैदान हो या 26 जलाई. 2012 को अरविन्द केजरीवाल का अनशन, सरकार का प्रभावित न कर सका । सरकार के साथ टकराव के मोच पर टीम अन्ना अपने कदम पीछे खींची। अन्ना हजारे ने घोषणा की कि मजबूत लोकपाल विधेयक की माँग के समर्थन में उनका आंदोलन 3 अगस्त शाम पाँच बजे समाप्त किया जायेगा। उन्होंने यह घोषणा उस समय की जब न्यायविद् वी. आर. कृष्ण अय्यर, थल सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वी. के. सिंह, कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगडे, पूर्व मुख्य चनाव आयुक्त जे. एम. लिगदहि, वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर, पी. वी. राजगोपाल, प्रो. वी. डी. शर्मा, प्रो. आनन्द कुमार और प्रो. योगेन्द्र यादव सहित 22 गणमान्य लोगों ने टीम अन्ना से अनशन समाप्त करने की अपील की। अरविन्द केजरीवाल और दो अन्य अनशनकारियों की हालत बिगड़ने के बीच यह अपील की गयी। टीम अन्ना ने दूसरी घोषण यह की कि समाज और देश को मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था का विकल्प देगी। टीम अन्ना ने राजनीतिक पार्टी बनाने के सवाल पर जनता से दो दिनों में अपनी राय देने को कहा। इसके सामाजिक आंदोलन राजनीतिक आंदोलन बन गया। टीम अन्ना ने राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा कर दी।
प्रश्न 7. नक्सलवाद क्या है?
उत्तर-नक्सलवाद साम्यवाद व माओवाद की विचारधारा से प्रभावित एक हिंसक आंदोलन है। इस आंदोलन को नक्सलवाद इसीलिये कहते हैं, क्योंकि इसकी शुरूआत 1967 ई. में पश्चिम बंगाल के नक्सलवादी स्थान पर हुई थी। यह आंदोलन भारत में पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, झारखण्ड व मध्य प्रदेश राज्यों में अधिक सक्रिय है। नक्सलवादी हिंसा व क्रांति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था में मौलिक बदलाव चाहते हैं।
प्रश्न 8. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है ?
उत्तर-विभिन्न देशों ने आयात होने वाली वस्तुओं पर से लगभग सभी प्रकार के प्रतिबंध समाप्त कर दिये हैं। इसलिए व्यापार तेज हो गया है। विश्व के विभिन्न देशों में पूँजी निवेश की छूट मिल गयी है। अब कुछ ही प्रतिबंध है। ऐसे में विभिन्न देश आपस में निवेश व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा दिया गया है। कुछ क्षेत्रों में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत है, जैसे कि बिजली क्षेत्र और तेल शोधन का क्षेत्र ।
प्रश्न 9. पर्यावरण संरक्षण क्या है?
उत्तर-दक्षिण देशों मसलन मैक्सिको, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनशिया, महादेशीय अफ्रीका और भारत के वन-आंदोलनों पर बहुत दवाब है। तीन दशकों से पर्याप्त को लेकर सक्रियता का दौर जारी है। इसके बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से की जाती है। पिछले दशक में विश्व के बचे-खुचे विशालतम वनों का विनाश बढ़ा है।
खनिज-उद्योग पृथ्वी पर मौजूद सबसे ताकतवर उद्योगों में से एक है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए खुल चुकी है। खनिज उद्योग धरती के भीतर मौजूद संसाधनों को बाहर निकालता है, रसायनों का भरपूर उपयोग करता है, भूमि और जलमार्गों को प्रदूषित करता है। स्थानीय वनस्पतियों का विनाश होता है और इसके कारण वन समुदायों को विस्थापित होना पड़ता है। कई बातों के साथ इन कारणों से विश्व के विभिन्न भागों में खनिज-उद्योग की आलोचना और विरोध हुआ है।
प्रश्न 10. भ्रष्टाचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-भ्रष्टाचार एक स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र के लिए कलंक है। जब कोई भी गतिविधि, चाहे वह सरकारी हो गैर सरकारी हो या स्वयंसेवी हो एक उपयक्त संवैधानिक दायरे में संपन्न नहीं की जाती हों तो उन गतिविधियों में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार व्याप्त है। भ्रष्टाचार नामक शब्द का खुलासा एवं प्रतिरोध बिहार आंदोलन के अग्रदूत जय प्रकाश नारायण थे तथा यह आंदोलन कई मुद्दों को लेकर था जिसमें भ्रष्टाचार भी एक प्रबल मुद्दा था इस आंदोलन का प्रारंभ बिहार में सन् 1974 के मार्च माह में प्रारंभ हुआ था। आजकल भ्रष्टाचार का दायरा लगभग सभी सरकारी दफ्तरों में व्याप्त हो गया है हालात ऐसी है कि बगैर सुविधा शुल्क भुगतान किए हुए किसी भी सरकारी दफ्तर में कार्य सुगमतापूर्वक नहीं हो सकता । अभी हाल के दिनों में ही कुछ माह पूर्व राष्ट्रीय स्तर पर अन्ना हजारे ने भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम छेड़ रखा था। वस्तुतः यदि समय रहते इस भ्रष्टाचाररूपी पिशाचिन को न मारा गया तो ईमानदारी तथा इंसानियत का वजूद भी खतरे में पड़ सकता है।
प्रश्न 11. अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है?
उत्तर-जब जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन में भाग न लेकर किसी एक व्यक्ति का राज चुना जाना ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहलाता है। अभी से कुछ वर्षों पूर्व तक नेपाल में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का ही बोलवाला था। कुछ वर्षों पूर्व तक नटलीय तापन क्या है ?
प्रश्न12.भूमंडलीय तापन क्या है
उत्तर-विज्ञान के बढ़ते कदम से कल-कारखानों, मोटरवाहनों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इनके द्वारा उत्पन्न धुआँ गर्म वाष्प एवं ताप वातावरण को प्रभावित करता है। इसके कारण धरती का ताप काफी बढ़ गया है। घरती के ऊपर धुआँ एवं धूलकणों की पतर से धरती की गर्मी अंतरिक्ष में नहीं पहुँच रही है। फलतः धरती हरित गृह प्रभाव के कारण गर्म होती जा रही है। भूमण्डलीय तापन इसी का नाम है।
प्रश्न 13. क्षेत्रवाद क्या है ?
उत्तर-क्षेत्रवाद किसी क्षेत्र विशेष के लोगों को उस प्रवृत्ति से सम्बन्धि त है जो उनमें अपने क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक अथवा राजनीतिक शक्तियों की वृद्धि करने के लिए प्रेरित करती है । इस दृष्टि से क्षेत्र देश का वह भू-भाग होता है जिसमें रहने वाले लोगों के समान उद्देश्य व आकांक्षाएँ होती हैं । इस प्रकार जब किसी भौगोलिक दृष्टि से पथक भूखंड में रहने वाले मानव समूह में धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषायी, आर्थिक-सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक आदि दृष्टि से उसी प्रकार के अन्य भूखंड से पृथकता उत्पन्न हो जाती है तथा स्वयं की एकरूपता व समानता का विकास हो जाता है तब उस मानव समूह में अपने क्षेत्रों के हितों के प्रति पैदा हुई जागरूकता को क्षेत्रीयता या क्षेत्रवाद कहा जाता है।
प्रश्न 14. एक-दलीय व्यवस्था क्या है ?
उत्तर-एक दलीय प्रभुत्व व्यवस्था से तात्पर्य उस व्यवस्था से है जहाँ राजनीतिक प्रक्रिया में एक ही दल का प्रभुत्व होता है । प्रजातन्त्र में कम-से-कम दो दलों का प्रभावशाली होना अनिवार्य है । साम्यवादी देशों में संविधान द्वारा एक ही दल (साम्यवादी पार्टी) को मान्यता प्रदान की जाती है। अन्य देशों में बहुदलीय प्रणाली होते हुए भी एक दल का प्रभुत्व हो सकता है । जैसे भारत में कांग्रेस ।
प्रश्न 15. भारतीय राजनीतिक में ‘कांग्रेस प्रभुत्व’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-कांग्रेस प्रभुत्व का तात्पर्य आजादी के बाद से 1967 तक के व प्रान्तों में लगातार कांग्रेस पार्टी का शासन। कांग्रेस प्रभुत्व का प्रमुख कारण विपक्षी दलों में एकता का अभाव होना था।
स्वतंत्र भारत के प्रथम आमचुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जीत सुनिश्चित थी। इसका कारण था कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भूमिका काफी सराहनीय थी। परिणामस्वरूप 1952 के आम चुनाव में कुल 489 सीटों में 364 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीती।
1957 में देश का दूसरा आमचुनाव हुआ। इस आमचुनाव में भी लोकसभा के लिए निर्धारित 494 स्थानों में कांग्रेस को 371 स्थान प्राप्त हए । इतनी बड़ी संख्या में लोकसभा में कांग्रेस की जीत से कांग्रेसी नेता काफी खुश थे और ऐसा लगने लगा कि अगले कई दशकों में कांग्रेस के प्रभत्व में शायद ही कमी आए। लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी आती गई। 1962 के आमचुनावों में भी लोकसभा के 494 स्थानों में कांग्रेस को 361 स्थान मिले। उल्लेखनीय है कि इन तीनों आम
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