आज के इस post में आप सभी के लिए Class 12 History का subjective Question Paper-5 यानि Question Bank 2021 (subjective Question), (Short Question ) (Long Question ) History Question Paper 2021 Class 12 pdf With Answer In Hindi Medium Class 12 History Sample Paper 2021 – 22 in Hindi Pdf Download
1.स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए। मालवादी नीति के मामलों को
Ans. महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादा नात बहुत कुछ सुलझाकर जनवरी 1915 में भारत आये आर गापाल रणगाखल ने उनकी ताकत परमा दे श सेवा के लिए प्रेरित किया। शरू
“धा जी ने अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास किया, परन्तु धीरे-धीरे म्पनी की धूर्तता स्पष्ट होती गयी और गाँधी जी ने अंत में महसूस किया कि अंग्रेजों का अभि वादस्त हो और एक दिन देश की आजादी दिलाने में उनका सर्वस्व समर्पण कामयाब हुआ।
गाँधी जो ने 1919 के लेट एक्ट का विरोध किया जिसके तहत मात्र शंका के आधार पर किसी भी भारतीय को किसी समय बन्दी बनाकर अनिश्चित जगह बिना बताये भेजा जा सकता था। गा
जा सकता था। गाँधी जी ने चंपारण मनील उपजाने किसानों का साथ दिया और सरकार को पीछे हटने को को एक जुट होकर लड़ने की प्रेरणा दी। बापू ने असहयोग आन्दोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942) आदि के द्वारा अंग्रेजों के भारत में शासन करने के मनसूबे को चकनाचूर कर दिया और देश को तभी आजादी मिली।
2.भारत छोड़ो आंदोलन की व्याख्या करें।
Ans. भारत छोड़ो आन्दोलन जिसका आरम्भ 1942 ई० में हुआ भ. रतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर है। इसने कमजोर हो रही ब्रिटिश • शक्ति को भारत छोड़ने पर मजबर कर दिया। भारत छोड़ो आन्दोलन के महत्त्वपूर्ण कारण निम्नलिखित थे
(i) द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण बढ़ती महँगाई और जरूरी वस्तुओं की कमी से जनता की परेशानी। सरकार इन कमियों को दूर करने की जगह व्यर्थ में युद्ध में उलझी हुई थी जो कहीं से भी भारतीयों के हित में नहीं था।
(ii) क्रिप्स मिशन की असफलता-इस मिशन ने भारतीयों को पूर्ण स्वराज्य के बदले डोमिनियन स्टेटस देने की बात कह भारतीयों को निराश किया। 8 अगस्त 1942 ई० में बम्बई में करो या मरो के नारे के साथ गाँधीजी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का बिगूल फूंका। जल्दी ही आंदोलन देश भर में फैल गया। प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिये गये परंतु आंदोलन थमा नहीं। इस आंदोलन का महत्त्वपूर्ण परिणाम रहा कि इसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता थी। इस आंदोलन के फलस्वरूप अधिराज्य की जगह पूर्ण स्वतंत्रता की माँग प्रबल हो गई। अब अंग्रेजों की नींव हिल चुकी थी और वे भारत छोड़ने की ओर अग्रसर होने लगे।
3.कांग्रेस में उग्रवादियों की भूमिका का परीक्षण करें।
Ans. उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम अथवा बीसवीं शताब्दी के आ. रंभिक वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक नए एवं तरूण दल का उदय हुआ जो पुराने नेताओं के आदर्श तथा ढंगों का प्रखर आलोचक था। उनका ध्येय था कि कांग्रेस का लक्ष्य स्वराज होना चाहिए। वे कांग्रेस के उदारवादी नीतियों का विरोध करते थे। .
1905 से 1919 का काल भारतीय इतिहास में उग्रवादी युग के नाम से जाना जाता है। उस युग के नेताओं में बालगंगाधर तिलक, विपन चन्द्रपाल, लाला लाजपत राय आदि प्रमुख थे। उग्रवादियों ने विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी माल अंगीकार करने पर बल दिया।
4.महावीर के उपदेशों का वर्णन करें।
Ans. जैन धर्म के संस्थापक वर्द्धमान महावीर थे। उनकी (जैन धर्म की) शिक्षाएँ निम्नलिखित थीं :
(i) आत्म निग्रह से आत्मज्ञान होता है। इसे प्राप्त करने के लिए सम्यक् विश्वास, सम्यक ज्ञान तथा सम्यक् कर्म पर बल दिया गया।
(i) अहिंसा पर बहुत बल दिया जाता था। उनका कथन था कि निर्जीव वस्तुओं में भी अनुभूति होती है।
(iii) जैन धर्म का पालन करने के लिए पाँच महाव्रत थे.—(a) अहिंसा, (ii) सत्य, (iii) चोरी न करना, (iv) ब्रह्मचर्य, (v) अपरिग्रह।
5.मौर्य प्रशासन की जानकारी दें।
Ans. मौर्य प्रशासन अत्यंत ही उच्च कोटि का था। राजा सर्वोपरि था। राजा का मंत्री आमात्य कहलाता था। मौर्य शासकों ने कठोर दंड का प्रावधान कर समाज को भय मुक्त प्रशासन प्रदान किया।
6.सूफीवाद से आप क्या समझते हैं ?
Ans. सूफीवाद उन्नीसवीं शताब्दी में मुद्रित एक अंग्रेजी शब्द है। सूफीवाद के लिए इस्लामी ग्रंथों में जिस शब्द का इस्तेमाल होता है वह है तसत्वुफ। कुछ विद्वानों के अनुसार यह शब्द ‘सफ’ से निकला है जिसका अर्थ ऊन है। यह उस खुरदुरे ऊनी कपड़े की ओर इशारा करता है जिसे सूफी पहनते थे। अन्य विद्वान इस शब्द की व्युत्पत्ति ‘सफा’ से मानते हैं जिसका अर्थ है साफ। यह भी संभव है कि यह शब्द ‘सफा’ से निकला हो जो पैगम्बर की मस्जिद के बाहर एक चबूतरा था जहाँ निकट अनुयायियों की मंडली धर्म के बारे में जानने के लिए इकट्ठी होती थी।
7.1857 ई. की क्रांति के प्रभाव पर प्रकाश डालिए।
Ans. 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण (Causes of the failure of the revolt of 1857)-1857 के विद्रोह में भारतीय जनता ने जी-तोड कर अंग्रेजों का सामना किया, किन्तु कुछ कारणों से इस विद्रोह में भारतवासियों को सफलता नहीं मिली। इस विफलता के निम्न कारण थे यह विद्रोह निश्चित तिथि से पहले आरम्भ हो गया। इसकी तिथि 31 मई निर्धारित की गई थी, किंतु यह 10 मई, 1857 को शुरू हो गया। यह स्वतंत्रता संग्राम सारे भारत में फैल गया, परिवहन तथा संचार के अभाव में भारतवासी इस पर पूर्ण नियंत्रण न रख सकें। भारतवासियों के पास अंग्रेजों के मुकाबले हथियारों का अभाव था। भारत में कुछ वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय भाग नहीं लिया। भारत में अंग्रेजों के समान कुशल सेनापतियों का अभाव था। अंग्रेजों को ब्रिटेन से यथासमय सहायता प्राप्त हो गई। क्रांतिकारियों में किसी एक निश्चित योजना एवं निश्चित उद्देश्यों की कमी थी।
8.असहयोग आन्दोलन के कारणों पर प्रकाश डालें।
Ans. गाँधीजी ने 1920 ई. में असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इसके निम्नलिखित कारण थे
(1) रॉलेट एक्ट-प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 ई. में रॉलेट एक्ट पास किया गया। इसके द्वारा सरकार अकारण ही किसी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। इससे असंतुष्ट होकर महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन चलाया।
(ii) जालियाँवाला बाग की दुर्घटना-रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए अमृतसर में जालियाँवाला बाग के स्थान पर एक जनसभा बुलायी गई। जनरल डायर ने इस सभा में एकत्रित लोगों पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलायीं। भयंकर हत्याकाण्ड हुआ महात्मा गाँधी ने इस हिंसात्मक घटना से दु:खी होकर असहयोग आन्दोलन आरंभ कर दिया।
9.भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी के योगदान किस प्रकार महत्वपूर्ण थे ?
Ans. गाँधीजी ने राष्ट्रीय आन्दोलन की नई दिशा एवं दशा दी। औपनिवेशक सरकार के विरुद्ध उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह नामक दो नए अस्त्रों का सहारा लिया। स्वतंत्रता आंदोलन को उन्होंने जनआन्दोलन में परिवर्तित कर दिया। 1917-18 में उन्होंने चम्पारण, खेड़ा और अहमदाबाद में सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया। रॉलेट कानून, जालियाँवाला बाग हत्या हत्याकांड और खलीफा के प्रश्न को लेकर 1920 में गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन आरंभ किया। इसमें बहिष्कार, स्वदेशी तथा रचनात्मक कार्यों पर बल दिया गया। गाँधीजी का दूसरा व्यापक आंदोलन 1930 में हुआ। उन्होंने सरकारी नीतियों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया। इसका आरंभ उन्होंने 12 मार्च, 1930 को दांडी यात्रा से किया। दांडी पहुँचकर नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून भंग किया। गाँधीजी का निर्णायक आंदोलन 1942 में हुआ। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन करने के लिए लोगों को प्रेरित किया तथा ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया। महात्मा गाँधी एक राजनीतिक नेता के साथ-साथ प्रबुद्ध चिंतक, समाजसुधारक एवं हिंद-मुस्लिम एकता के समर्थक थे। उन्होंने दलितों
के उद्धार के लिए अनेक कार्य किए। 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में उनकी निर्मम हत्या कर दी गई।
10.सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें।
Ans. सिन्धु घाटी की सभ्यता अपनी नगर योजना तथा भवन निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध थी। सभी बड़े नगर एक सुनिश्चित योजना के आधार पर बने थे। नगरों का अपना-अपना दुर्ग था जिसमें शासक वर्ग के लोग रहा करते थे। प्रत्येक नगर नदी के किनारे बसा हुआ था तथा इसमें बड़े पैमाने पर पकाई गई ईंटों का प्रयोग किया गया था। खुदाई में प्राप्त भग्नावशेषों से नगर निर्माण योजना की विशेषताएँ सामने आती हैं।
11.पुरातत्व से आप क्या समझते हैं?
Ans. प्राचीन इतिहास के अध्ययन में पुरातात्विक स्रोत का अपना विशेष स्थान रखते हैं। इसके प्रमुख कारण यह है कि भारतीय ग्रंथों की संख्या काल की सही-सही जानकारी नहीं होने के कारण किसी काल-विशेष की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का ज्ञान नहीं होता। साहित्यिक साधनों में लेखक का दृष्टिकोण भी सही तथा प्रस्तुत करने में बाधक होता है। ग्रंथों की प्रतिलिपि करने वालों ने अपना इच्छानुसार प्राचीन प्रकरणों को छोड़कर अनेक नए प्रकरण जोड़ देते हैं। लेकिन पुरातात्विक सामग्री में इस प्रकार के हेर-फेर की संभावना बहुत कम होता है; अतः पुरातात्विक स्रोत अधिक विश्वसनीय होते हैं।
12.रॉलेट एक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans. भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। फरवरी, 1919 ई. में रॉलेट ने दो विधेयक प्रस्तावित किए जो पारित होने के बाद ‘रॉलेट ऐक्ट’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। भारतीय नेताओं के विरोध करने पर भी सरकार ने 21 मार्च 1919 को इसे लागू कर दिया। इस एक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को संदेह मात्र होने पर उसे गिरफ्तार किया जा सकता था। अथवा गुप्त मुकदमा चलाकर निर अपराधी को भी दण्डित किया जा सकता था इसलिए इस ऐक्ट को भारतीयों ने ‘काले कानून’ की संज्ञा दी।
13.गाँधार कला की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
Ans. महायान बौद्ध धर्म के उदय के साथ गांधार कला का भी उदय हुआ। इनका विकास गांधार क्षेत्र (अविभाजित भारत का पश्चिमोत्तर क्षेत्र) में हुआ इसलिए इसे गांधार कला कहा गया। इस पर यूनानी कला-शैली का प्रभाव है। इस कला में पहली बार बुद्ध और बोधिसत्व की मानवाकार मूर्तियाँ विभिन्न मुद्राओं में बनीं। मूर्तियों में बालों के अलंकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।
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