Class 12th History Subjective Question Answer -4 2022 Pdf Download

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आज के इस post में आप सभी के लिए Class 12 History का subjective Question Paper-4 यानि Question Bank 2021 (subjective Question), (Short Question ) (Long Question ) History Question Paper 2021 Class 12 pdf With Answer In Hindi Medium Class 12 History Sample Paper 2021 – 22 in Hindi Pdf Download

 

1.ए. ओ. ह्यूम (A.O. Hume) का परिचय दें।

Ans. भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में ए. ओ. घूम का नाम बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने ही भारत में सर्वप्रथम कांग्रेस जैसी सार्वजनिक संस्था की स्थापना में पहल की थी। ये एक अवकाशप्राप्त अंगरेज ICS पदाधिकारी थे। उन्होंने कांग्रेस की स्थापना एक ‘रक्षा नली’ (Safety Volve) के रूप में की थी।

 

2.अलबरूनी कौन था? भारत यात्रा का उसका क्या उद्देश्य था?

Ans. अलबरूनी का जन्म आधुनिक उजबेकिस्तान स्थित ख्वारिज्म में सन् 973 ई. में हुआ था। अलबरूनी ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की और कई भाषाओं सीरियाई, फारसी, हिब्रू तथा संस्कृत का ज्ञाता था। सन् 1017 ई. में सुल्तान महमद ने ख्वारिज्म पर आक्रमण किया और लूट के माल के साथ अलबरूनी को भी गजनी ले गया। अपनी योग्यता एवं विद्वता के बल पर वह सुल्तान का चहेता बन गया। महमूद ने भारत आक्रमण के अवसर पर अलबरूनी भारत आया और देश के विभिन्न भागों में ठहरा। भारत यात्रा का उसका उद्देश्य भारतीय दर्शन, ज्योतिष एवं धर्म का ज्ञान प्राप्त करना था।

 

 

3.छठी शताब्दी ई. पू. में कृषि उत्पादन की वृद्धि के लिए जो तरीके (विधियाँ) अपनाये गये, उनका उल्लेख करें।

Ans. (i) उपजाऊ जमीन पर हल में लोहे का प्रयोग किया जाना।

(ii) सिंचाई का विकास करना।

 

4.तमिलनाडु के अलवार और नयनार संतों के बारे में आप क्या जानते हैं ?

Ans. अलवार और नयनार संत मुख्य रूप से तमिलनाडु के संत थे। प्रारंभिक भक्ति आंदोलन अलवारों और नयनारों के नेतृत्व में ही हुआ। अलवार संत विष्णु की भक्ति करते थे तो नयनार संत शिवभक्त थे। ये संत एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रमण करते हुए तमिल में अपने इस्ट की स्तुति में भजन गाते थे। अपनी यात्राओं के दौरान अलवार और नयनार संतों ने कुछ पावन स्थलों को अपने इष्ट का निवासस्थान घोषित किया। इन्हीं स्थलों पर वाद में विशाल मंदिरों का निर्माण हुआ और वे तीर्थस्थल माने गए। संत-कवियों के भजनों को इन मंदिरों में अनुष्ठानों के समय गाया जाता था और साथ ही संतों की प्रतिमा की भी पूजा की जाती थी।

 

5.दीवानी का अर्थ स्पष्ट करें।

Ans. दीवानी का अर्थ है, भूराजस्व अथवा लगान वसूल करने का अधिकार। 1764 ई. में बक्सर के युद्ध के पश्चात्, मुगल-सम्राट् शाह आलम ने अंग्रेजों हास से इलाहाबाद की संधि की। इस संधि के अनुसार अंग्रेजों को मुगल सम्राट्र द्वारा बिहार, बंगाल एवं उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई।

 

6.अंग्रेजों के अधीन नये औपनिवेशिक नगरों में ‘मध्य-वर्ग’ के किन्हीं वो विशेष लक्षणों का उल्लेख करें।

Ans. (i) नगरों में शिक्षक, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, एकाउण्टेंट आदि पढ़े-लिखे लोगों की संख्या बढ़ती गयी। उन्होंने गाँव की अपनी पहचान को छोड़कर शहरी समाज में मध्य वर्ग के रूप में अपनी पहचान बनायी।

(ii) नगरों के मनोरंजन केन्द्र, रंगशालाएँ, सिनेमा हॉल जैसी जगहें इन लोगों के मिलने के स्थान थे। शिक्षित होने के करण वे अखबारों, पत्रिकाओं और सार्वजनिक सभाओं में अपनी राय व्यक्त करते थे।

 

7.प्राचीन समाज में अछूतों की स्थिति का वर्णन कीजिए।

Ans. (i) उन्हें गाँव से बाहर रहना पड़ता था। (ii) वे के हुए बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। (iii) मरे हुए लोगों के वस्त्र तथा लोहे के आभूषण पहनते थे।

(iv) रात्रि में वे गाँव और नगरों में चल-फिर नहीं सकते थे।

 

8.संथालों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया?

Ans. 1855-56 ई० में संथाल परगना में संथालों ने सिद्ध और कान्हू के नेतत्व में ब्रिटिश सरकार, जमींदारों तथा महाजनों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इन्होंने अपनी जमीन वापस करने को स्वतंत्र जीवन जीने की माँग रखी। यद्यपि विद्रोह दबा दिया गया परंतु सरकार ने इस क्षेत्र में विशेष भूमि कानूनों का निर्माण कर इन्हें तुष्ट करने का प्रयास किया गया।

 

9.संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का संक्षिप्त वर्णन करें।

Ans. संघ सूची में वे विषय रखे जो राष्ट्रीय महत्व के हैं तथा जिनके बारे में देश भर में एक समान नीति होना आवश्यक है। जैसे—प्रतिरक्षा, विदेश नीति, डाक-तार व टेलीफोन, रेल मुद्रा, बीमा व विदेशी व्यापार इत्यादि। इस सूची में कुल 35 विषय है।

राज्य सूची में प्रादेशिक महत्त्व के विषय सम्मिलित किये गये थे जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया। राज्य सूची के प्रमुख विषय हैं-कृषि, पुलिस, जेल, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सिंचाई व मालगुजारी इत्यादि। इन विषयों की संख्या 66 थी। समवर्ती सूची में 47 विषय थे। इस सूची के विषयों पर केन्द्र तथा राज्यों दोनों कानून बना सकते हैं परन्तु किसी विषय पर यदि संसद और राज्य के विधान मण्डल द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध होता है तो संसद द्वारा बनाए गए कानून ही मान्य होंगे। इस सूची के प्रमुख विषय हैं बिजली, विवाह कानून, मूल्य नियंत्रण, समाचार पत्र, छापेखाने, दीवानी कानून, हिंसा, वन, जनसंख्या नियन्त्रण और परिवार नियोजन आदि।

मनुस्मृति में कहा गया है ‘वेदोदखलोधर्ममूलम’ अर्थात् ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अर्थववेद आदि सम्पूर्ण वेद धर्म का मूल है। साथ ही मनुस्मृति में यह भी कहा गया है-‘धर्म’ जिज्ञासमानना, प्रमाणं परमं श्रुतिः।’ अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिये परम प्रमाण वेद ही है।

 

10.मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।

Ans. मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु हमारे पास साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों प्रकार के स्रोत हैं। साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इण्डिका विशाखदत्त की मुद्राराक्षस महत्त्वपूर्ण है तो पुरातात्विक स्रोतों में अशोक के शिलालेख, स्तम्भलेख, कम्हरार के अवशेष महत्त्वपूर्ण एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।

 

 

 

11.अशोक के धम्म पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans. अतीत के इतिहासकार आमतौर पर अशोक के धम्म की व्याख्या लगभग बौद्ध मत के पर्याय के रूप में करके यह संकेतित करते रहे हैं कि अशोक बौद्ध धर्म को राज धर्म बनाना चाहता था। उसका ऐसा कोई इरादा था यह संदेहात्मक है। धम्म का उद्देश्य एक ऐसी मानसिक viournapore.. वद्धि का निर्माण करना था जिसमें सामाजिक उत्तरदायित्व को एक व्यक्ति । के दूसरे व्यक्ति के प्रति व्यवहार को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समझे जाये। । इसमें मनुष्य की महिमा को स्वीकृति होने और समाज के कार्यकलापों में मानवीय भावना का संचार करने का आग्रह था। बुनियादी सिद्धान्तों में । अशोक ने सबसे ज्यादा सहिष्णुता पर बल दिया। अहिंसा धम्म का एक बुनियादी सिद्धान्त था। धम्म की नीति में ऐसे कार्य भी शामिल थे जो आज नागरिक के कल्याण से संबंधित हैं।

 

12.चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमावित्य की उपलब्धियों का वर्णन करें।

Ans. चन्द्रगुप्त द्वितीय न केवल एक महान विजेता बल्कि एक कुशल प्रशासक भी था। गुप्त प्रशासन का निर्माण उसी ने किया। उसका 40 वर्षों का दीर्घकालीन शासन शांति, सुव्यवस्था और संवृद्धि का काल था। चन्द्रगुप्त द्वितीय की प्रमुख उपलब्धियाँ :

(i) बंगाल के युद्ध क्षेत्र में उसने शत्रुओं के एक संघ को पराजित किया था।

(ii) सिंधु के सातों मुखों को पार कर उसने बाछिको को जीता था। (iii) दक्षिण भारत में उसकी ख्याति फैली हुई थी। (iv) वह भगवान विष्णु का परमभक्त था।

 

13.बलबन की उपलब्धियों का मुल्यांकन करें।

Ans. नायब के पद पर पहुँचते ही बलबन ने अपनी स्थिति के सुदृढीकण की ओर ध्यान दिया। उसने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद से अपनी पुत्री का विवाह कर दिया। इसके बाद सल्तनत के उच्च पदों पर अपने-सगे-संबंधियों को नियुक्त करने लगा। उसने अपने भाई कश्लू खाँ को अमीर-ए-हाजिब के पद पर नियुक्त किया तथा अपने चचेरे भाई शेर खाँ को भटिंडा और लाहौर का सूबेदार बना दिया। वजीर का पद नायब के आगे गौण पड़ गया। वजीर अबू बक ने नायब के अधीन रहना स्वीकार कर लिया। बलबन इल्तुतमिश के चहलगानी दल का सदस्य था। बलबन ने राजत्व का एक नया सिद्धान्त प्रतिपादित किया। बलबन ने एक केन्द्रीय सैन्य विभाग की स्थापना की एवं गुप्तचर विभाग का भी संगठन किया। उसने पहली बार मंगोलों से बचाव के लिए सीमान्त क्षेत्रों में दुर्ग का निर्माण करवाया और वहाँ योग सेना भूदयधों को नियुक्त किया। बलबन कुरान के नियमों को शासन का आधार मानता था। बलबन ने ईश्वर, शासक तथा जनता के बीच त्रिपधीय संबंधों को राज्य का आधार बनाने का प्रयत्न किया।

 

 

 

 

14.नसबदारी व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।

Ans. अकबर ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मनसबदारी व्यवस्था का प्रवर्तन किया। यह दसमलव प्रणाली पर आधारित था। मनसबदार को दो पद जात एवं सवार प्रदान किए जाते थे। व्लाकमैन के अनुसार, एक मनसबदार को अपने जितने सैनिक रखने पड़ते थे वह जात का सूचक था। वह जितने घुड़सवार रखता था वह सवार का सूचक था। __40 से 500 तक का मनसबदार ‘मनसबदार’ कहलाता था। 500 से 2500 का मनसबदार अमीर कहलाता था। 2500 से अधिक का मनसबदार अमीर एक उम्दा कहलाता था। जागीर भी दी जाती थी। इस प्रकार मनसबदारी व्यवस्था मुगल सेना का प्रमुख आधार बन गयी। उसने मुगल साम्राज्य का विस्तार एवं सुव्यवस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

 

 

15.अकबर की धार्मिक नीति की समीक्षा करें।

Ans. अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई। 1562 ई० में अकबर ने युद्धबन्दियों को दास बनाने की प्रथा पर रोक लगायी तथा 1563 ई० में तीर्थयात्रा कर बन्द कर दिया। उसने हिन्दुओं से लिये जाने वाले जजिया कर को भी 1564 ई० में समाप्त कर दिया। दार्शनिक व धार्मिक प्रश्नों पर वाद-विवाद करने के लिए अकबर ने फतेहपुर सीकरी असा यहाँ शेख अब्दुल नवी

Arts, Class-12 में 1575 ई० में इबावतखाना का नि’ एवं अब्दुल्ला सुल्तानपुरी के 1579 ई० में अकबर ने महजर का विवाद पर अकबर की राय ही अन्तिम रा अब्दुल्ला सल्तानपरीकेयोने वाले अशोभनीय झगड़ा को देखकर म अकबर ने महजर की घोषणा की। इसके द्वारा किसी भी की राय ही अन्तिम राय होती थी

 

 

 

 

 

 

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