CLASS 12TH HISTORY SUBJECTIVE QUESTION ANSWER 2022

HISTORY

CLASS 12TH HISTORY SUBJECTIVE QUESTION ANSWER 2022

यहाँ क्लास 12TH का सब्जेक्टिव का प्रश्न उत्तर मिलेगा जो आपको बोर्ड परीक्षा में बहुत हेल्प करने वाली है 

 

Q.1. महाजनपद से आप क्या समझते हैं?

Ans. वैदिक काल में आर्यों का राजनीतिक आधार जन था। उत्तरवैदिक युग में जनपद का विकास हुआ। छोटे-छोटे जनपदों को मिलाकर महाजनपदों का निर्माण हुआ। बौद्ध साहित्यों में ऐसे 16 महाजनपदों का उल्लेख हमें मिलता है। जबकि जैन साहित्य भगवती सत्र में वर्णित 16 महाजनपदों में मानव और मोलि बौद्ध सूत्रों के क्रमशः अवन्ति और मल हैं। बौद्ध और जैन सूत्रियों के महाजनपदों में अंग, मगध, वत्स, वज्जि, काशी और कौशल समान हैं। शेष आठ जनपदों में अन्तर है। 16 महाजनपदों की आठ पड़ोसी जोड़ियाँ गिनी जाती थीं-अंग-मगध, काशी-कौशल, वृज्जि-मल, चेदि-वत्स, कुरू-पंचाल, मत्स्य-सूरसेन, अस्मक-अवन्ति और गान्धार-कम्बोज। बौद्ध साहित्य ‘अंगुत्तरनिकाय’ में निम्नलिखित सोलह महाजनपदों का वर्णन किया गया है

  1. अंग, 2. मगध, 3. काशी, 4. कौशल, 5. वृज्जि, 6. मल्ल, 7. चेदि, 8. वत्स, 9. कुरु, 10. पंचाल, 11. मत्स्य, 12. शूरसेन, 13. अस्सक, 14. अवन्ति, 15. गांधार, 16. कम्बोज।

 

Q.2. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।

Ans. मौर्यकालीन इतिहास की विस्तृत जानकारी हमें अशोक महान के अभिलेखों और स्मारकों, कौटिल्य के अर्थशास्त्र तथा यूनानी राजदूत मेगास्थनीज के विवरणों से प्राप्त होती है। मौर्यकाल के इतिहास का यूनानी स्रोत महत्वपूर्ण है। इस सन्दर्भ में मेगास्थनीज द्वारा रचित पुस्तक (इण्डिका) प्रमुख है। इस तरह कौटिल्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र में विस्तृत वर्णन है।

अशोक ने अपने काल में कई शिलालेखों, स्तम्भ लेखों तथा स्मारक चिन्हों का निर्माण कराया था। इससे भी मौर्यकालीन इतिहास की काफी जानकारी मिलती है। मुद्रो राक्षस ऐतिहासिक नाटक में नन्दवंश के नाश तथा मौर्यवंश की स्थापना की कहानी मिलती है। पुराणों तथा बौद्ध ग्रन्थों से भी जानकारी मिलती है।


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Q.3. अशोक ने धर्म-प्रचार के लिए क्या किया ?

Ans. अशोक सब धर्मों का आदर करता था। उसके अनुसार सब धर्मों का सार ग्रहण करो, किसी धर्म की निंदा मत करो। सब धर्मों का मूल एक ही है। अशोक के धर्म (बौद्ध धर्म) का प्रमुख सिद्धांत था – बड़ों का सम्मान करना। उसके अनुसार मनुष्य को पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए।

उसने अपने ‘धम्म’ प्रचार-प्रसार के लिए प्रशंसनीय कदम उठाया। अतः शीघ्र ही उसका धर्म लोकव्यापी हो गया। अशोक द्वारा ‘धम्म’ प्रसार-धर्म श्रवण को अशोक के धम्म प्रसार के 1

 

Q.4. कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा?

Ans. कलिंग युद्ध में भीषण रक्तपात को देखकर अशोक का दिल दहल गया। उसे युद्ध के नाम से घृणा हो गई और उसने भविष्य में युद्ध न करने की शपथ ली। उसने अपनी जीवनधारा को ही बदल दिया। कलिंग युद्ध के अधोलिखित प्रभाव पड़े : कलिंग युद्ध ने अशोक की आँखें खोल दीं। उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। यह संभव हो सकता है कि यदि कलिंगयुद्ध न होता तो वह बौद्ध धर्म ग्रहण न करता। कलिंग युद्ध से पूर्व अशोक ने भी अपने पूर्वजों की भाँति युद्ध लड़े, शिकार खेले, माँसाहार किया और विलासिता का जीवन बिताया परंतु इस युद्ध ने उसकी जीवन धारा को ही बदल डाला। वह अहिंसा का पुजारी और दीन-दुखियों का रक्षक बन गया।

 

Q.5. त्रिपिटक कितने हैं ? उनके नाम और विशेषताएँ लिखें।

Ans. त्रिपिटक तीन हैं- विनय पिटक, सुत्त पिटक ओर अभिधम्म।

(i) विनय पिटक में संध या बौद्ध मठों में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था।

(ii) सुत्त पिटक में बुद्ध की शिक्षायें हैं।

(iii) अभिधम्म में दर्शन से जुड़े विषय हैं।

 

Q.6. जैन धर्म के उपदेश लिखें।

Ans. जैन धर्म की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

(क) अहिंसा (ख) वेदों में अविश्वास


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Q.7. प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।

 

Ans. प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था निम्न प्रकार थी :

(i) ब्राह्मण : ब्राह्मणों का कार्य अध्ययन, वेदों की शिक्षा, यज्ञ करना और करवाना था तथा उनका काम दान देना और लेना था।

(ii) क्षत्रिय : क्षत्रियों का काम युद्ध करना, लोगों को सुरक्षा-प्रदान करना, न्याय करना, वेद-पढ़ना, यज्ञ करवाना और दान-दक्षिणा देना था।

(ii) वैश्य ; क्षत्रियों के अंतिम तीन कार्य वैश्यों के लिए भी थे साथ ही उनसे कृषि, गौ पालन और व्यापार का कार्य भी अपेक्षित था।

(iv) शूद्र : शूद्रों के लिए मात्र एक ही जीविका-तीनों वर्गों की सेवा थी।

 

Q.8. महाभारत में वर्णित विवाह के प्रकारों का वर्णन कीजिए।

Ans. महाभारत के आदि पर्व में विवाह के आठ प्रकारों का वर्णन मिलता है जो निम्नलिखित हैं :

(i) दैव विवाह (ii) असुर विवाह (iii) राक्षस विवाह (iv) पैशाच विवाह (v) गंधर्व विवा: (vi) प्रजापत्य विवाह (vii) आर्ष विवाह और (viii) ब्रह्म विवाह।

 

9.महाभारत के लेखक कौन था?

(Who was the writer of Mahabharta ?) उत्तर-ऐसा माना जाता है कि महाभारत की मूल कथा के रचयिता भाट सारथी थे, जिन्हें सूत कहा जाता था। ये सूत क्षत्रिय योद्धाओं के साथ युद्ध क्षेत्र में जाते थे व उनकी विजय एवं उपलब्धियों को काव्यरूप में प्रस्तुत करते थे। मूल महाभारत में प्रारंभ में 10,000 से कम श्लोक थे बाद में यह बढ़कर 1 लाख से भी अधिक हो गया। इसके रचयिता महर्षि व्यास थे।


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10.वैदिक काल में आश्रम व्यवस्था पर प्रकाश डालें।

(Throw light on Asharam system in vedic period.) उत्तर-उत्तर वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था के साथ-साथ आश्रम व्यवस्था भी भारतीय समाज का अंग बन गई थी। मनुष्य की आयु को 100 वर्ष मानकर प्रत्येक आश्रम के लिए 25 वर्ष की समान अवस्था निश्चित की गई थी। ये चार आश्रम इस प्रकार थे

(i) ब्रह्मचर्य आश्रम (25 वर्ष तक)—इस आश्रम में व्यक्ति अपने गुरु के आश्रम में रहकर, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विद्या ग्रहण करता था।

(i) गृहस्थाश्रम (25-50 वर्ष)-अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद व्यक्ति विवाह करके गृहस्थ धर्म का पालन करता था।

(iii) वानप्रस्थ आश्रम (50-75 वर्ष) इस आश्रम में व्यक्ति सांसारिक चिन्ताओं से मक्त होकर तथा जंगल में रहकर एकान्त स्थान में आत्म चिन्तन तथा जीवन की गूढ बातों पर ध्यान करता था।

 (iv) संन्यास आश्रम (75-100 वर्ष तक)—यह अन्तिम आश्रम था। इसमें व्यक्ति अपनी कुटी को छोड़कर संन्यासी बन जाता था और कठिन तप द्वारा मुक्ति मोक्ष की कामना करता था।

 

11.बौद्ध-धर्म के महायान और हीनयान के सिद्धांत में क्या अंतर है?

(What are the basic differences between the principle of Mahayan and Hinyan of Buddhism?)

उत्तर–हीनयान सम्प्रदाय महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित है, यह सम्प्रदाय महात्मा बुद्ध को एक महापुरुष के रूप में स्वीकारता है। हीनयान में ज्ञान को प्रमुख स्थान दिया गया है तथा व्यक्ति को निर्वाण की प्राप्ति करना उद्देश्य बताया गया है।

महायान सम्प्रदाय में महात्मा बुद्ध के अतिरिक्त बोधिसत्वों की शिक्षाओं को शामिल किया गया तथा महात्मा बुद्ध को एक सर्वशक्तिमान देवता माना गया है। महायान सम्प्रदाय में ज्ञान के स्थान पर करुणा को अधिक महत्त्व दिया गया है। महायान सम्प्रदाय के अनुयायी बोधिसत्व को आदर्श मानते हुए गृहस्थ जीवन को अधिक महत्त्व दिया है।

 

12.बुद्ध के चार आर्य सत्यों का उल्लेख करें।

(Write four Arya truth of Buddhism.)

 

उत्तर—महात्मा बुद्ध ने चार आर्य सत्यों पर बल दिया। ये निम्नलिखित हैं

(i) संसार दुःखमय—महात्मा बुद्ध के अनुसार मानव जीवन दुःखों का घर है। बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु आदि मानव जीवन के भीषण दुःख हैं।

(ii) दुःख समुदाय—बुद्ध के अनुसार दु:खों का मूल कारण मानव जीवन ही है। दु:खों का

_मूल कारण तृष्णा है।

(iii) दुःख निरोध–यदि मानव की तृष्णा समाप्त हो जाय तो दु:खों का निवारण हो सकता

(iv) दुःख निरोध का मार्ग महात्मा बुद्ध के अनुसार इन सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाने

के लिए अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करना चाहिये।

 

13.बौद्ध संगीतियाँ क्यों बुलाई गई? चतुर्थ बौद्ध संगीति का क्या महत्त्व है? . (Why were the Buddhist councils convened ? What is the importance of the fourth Buddhist council ?)(BSEB 2010A]

 

उत्तर .महात्मा बुद्ध के मृत्यु के पश्चात् बौद्ध धर्म के अनुयायियों में मतभेद एवं आन्तरिक संघर्ष शुरू हो गया था। इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए समय-समय पर बौद्ध समितियों अथवा सभाओं का आयोजन किया गया। इस प्रकार चार संगीतियाँ अथवा सभायें बलाई गई थीं।


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