इस ब्लॉग में हम लोग बकरा ईद( ईद उल अजहा) के बारे में जानेंग । की बकरा ईद क्या है ? इसे क्यों मनाया जाता है?? क्योंकि इस पर्व में मुसलमानों के लिए बहुत ही रोचक और वास्तविक कहानी छुपा हुआ है ।अगर आप भी इस पर्व के बारे में जानेंगे तो बहुत उत्सुक हो जाएंगे।
बकरा ईद( ईद उल अजहा) क्या है???
बकरा ईद (ईद उल अजहा) मुसलमानों का बहुत ही अफजल व बरकत वाला त्योहार है क्योकि इस पर्व को हजरत इब्राहिम और उसके बेटे की याद को पूरी दुनिया में मनाया जाता है इसी को ही बकरा ईद कहते हैं।
बकरा ईद (ईद उल अजहा )क्यों मनाया जाता है??
मुसलमानों को बकरा ईद मनाने के पीछे बहुत बड़ा रोचक तथ्य छुपा हुआ है जो जानना बहुत जरूरी है।
हजरत इब्राहिम अली सलाम एक अल्लाह के नबी थे जो खुदा की इबादत किया करते हैं ।और जो अल्लाह के नबी होते हैं उनके सपने हकीकत होते हैं
एक रात हजरत इब्राहिम अली सलाम ख्वाब देखते हैं और ख्वाब में एक आवाज आती ऐ.. ईब्राहिम मेरे वास्ते तुम अपनी प्यारी चीज को त्याग दो। उसी समय इब्राहिम नींद से जाग जाता है और जैसे ही सूरज उगता है अपना सारा माल दौलत खुदा की राह में त्याग देते हैं ।और फिर उस रात आराम से सोते हैं और कहते हैं कि मैंने अपना सब कुछ त्याग दिया फिर उस रात भी ख्वाब में आवाज आती है इब्राहिम तुम अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर …फिर जाग कर सोचने लगते हैं कि मेरा सबसे प्यारी चीज तो मेरा बेटा स्माइल है। ए मेरे अल्लाह क्या तू यह देखना चाहता है कि मैं अपने बेटे से ज्यादा इश्क करता हूं या तुमसे मैं तेरे नाम पर लाखों इस्माइल कुर्बान कर दूं।
उसी समय फलस्तीन से मक्के के तरफ इब्राहिम रवाना होते हैं अपनी प्यारी बीबी हाजरा से कहते हैं ।मेरे बेटे इस्माइल को तैयार कर अच्छा कपड़ा पहना कर खुशबू लगा मैं अपने दोस्त के पास लेकर जा रहा हूं बस माँ ने अपने बेटे को तैयार किया और अल्लाह का नबी इब्राहिम अपने बेटे को लेकर अल्लाह की रजा के लिए अपने कदम को आगे बढ़ा दिया ।और रास्ते में इब्राहिम अपने बेटे से कहा ।इस्माइल पता है मैं तुम्हें कहां लेकर जा रहा हूँ। आपके बेटे ने कहा हाँ बाबा आप मुझे अपने दोस्त के यहां लेकर जा रहे हैं तो इब्राहीम ने कहा मैं तुम्हें अल्लाह के वास्ते कुर्बान करने ले जा रहा हूँ। बस यह सुनते ही इब्राहिम ने कहा अगर अल्लाह की राह में मुझे कुर्बान कर दी जाए तो इससे बेहतर मेरे लिए क्या है लेकिन बाबा मेरी आखिरी इच्छा है कि आप बूढ़े हैं आप मेरी हाथ पाव रस्सी से बाँध लें ।और मेरी इच्छा है कि आप अपनी आँखों पर पट्टी बाँध क्योंकि मुझेे पता है आप मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं आप मेरी लाश को तड़पते देख आपकी तकलीफ देखकर मैं सहन नहीं कर सकता। अल्लाह के नबी इब्राहिम ने अपनी आंख बांधा और इस्माइल के हाथ पांव बांधकर चाकू अपने बेटे के गर्दन में रख दिया और कहा है अल्लाह देख मैं तेरी राह में अपनी प्यारी चीज को त्याग करने जा रहा हूं और चाकू अपने बेटे के गर्दन में चलाने लगा तभी अल्लाह ने जिब्राइल को कहा जाओ इस्माइल के जगह एक जन्नत से दुंबा रख दो और इब्राहिम ने चाकू चलाता रहा और फिर जब अपने आंखों से पट्टी हटाया तो इस्माइल को जिंदा देखा और उसके जगह एक दुंबा कुर्बान देखा और एक आवाज आई है इब्राहिम तुम कामयाब हो गए और तेरी यह कामयाबी दुनिया में कयामत तक रहेगा तभी से हम मुसलमान हर साल बकरा ईद मनाते हैं
बकरा ईद में मुसलमान क्या-क्या करता है
बकरा ईद में मुसलमान उस दिन सुबह सवेरे उठ कर नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह में 2 रकात नमाज अदा करते हैं नमाज के बाद खुत्बा सुनते हैं फिर एक दूसरे से गले मिलकर ईदी देते हैं और घर आकर इब्राहिम और उसके बेटे इस्माइल की यादों में बकरा गाय दुंबा की कुर्बानी देते हैं और फिर उसके मास्को गरीबों मैं बांटकर खुशियां मनाते हैं
बकरा ईद में मुसलमानों और हिंदुओं का क्या कहना है
हिंदू धर्म के अनुसार कुर्बानी का अर्थ क्या करना है वही मुसलमानों में कुर्बानी का अर्थ खुदा के नाम पर कुर्बान हो जाना है अर्थात अपनी सबसे प्यारी वस्तु को कुर्बान कर देना है इसलिए बकरे को कुछ दिनों पहले से लाकर उसे अच्छे से खिलाया पिलाया जाता है और उस उसे प्यार किया जाता है इसी मान्यता को उजागर करता है मुस्लिमों का पवित्र त्यौहार है बकरा ईद
क्या आप लोग बकरा ईद के बारे में पूरी तरीके से समझ चुके हैं अगर इसी तरह के किसी भी धर्म या फिर किसी भी जानकारी के लिए कोई भी विषय के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर देना उसके बारे में पूरी विस्तार के साथ में आपको बता दूंगा धन्यवाद….
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