जानिए हड़प्पा सभ्यता (सिन्धु घाटी सभ्यता) का इतिहास

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हड़प्पा सभ्यता का पुरातत्व [HARAPPAN ARCHAEOLOGY]

हड़प्पा सभ्यता का परिचय (INTRODUCTION)

  • आज से लगभग 5000 वर्ष पहले सिन्धु नदी के तट पर स्थित सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की आरम्भिक चार प्रमुख सभ्यताओं में से एक थी। यह एक नगरीय सभ्यता थी। चूँकि पुरातत्वविदों द्वारा सर्वप्रथम हड़प्पा नगर की खोज की गई थी, इसीलिये इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।

हड़प्पा पंजाब के मांटगोमरी जिले में था। हड़प्पा के पश्चात पुरातत्वविदों ने इस सभ्यता के अन्य नगरों मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल, कालीबंगान, रंगपुर, रोपड़, आलमगीरपुर आदि अनेकानेक नगरों की खोज की। यह पूरी सभ्यता एक त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी। भारतीय सभ्यता के ये सभी प्रारम्भिक नगर थे। इन सभी नगरों का पुरातत्वविदों ने जो उत्खनन किया, उससे इनकी अपनी कहानी लिखी गई।

 

पुरातत्व से आप क्या समझते है ?

मैं पुरातत्व को उन सभी विषयों का संग्रह कह सकता हूँ जो हमारी मानव जाति के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और जीवनशैली के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इसमें प्राचीन संस्कृति, चित्रकला, भाषा, ग्रंथों, स्मारकों, निर्माण कला, खनिजों का उत्पादन और अन्य विषय शामिल होते हैं। पुरातत्व एक विस्तृत ज्ञान शाखा है जो इन सभी विषयों के अध्ययन और संग्रह के माध्यम से हमें हमारी पूर्वजों के जीवन के बारे में समझाती है।

 

हड़प्पा सभ्यता की खोज

हड़प्पा सभ्यता की खोज 1920 में ब्रिटिश अर्चियोलॉजिस्ट सर जॉन मारशल के द्वारा की गई थी। उन्होंने लाहौर के पास सिंध नदी के किनारे हड़प्पा नगर में खुदाई की थी। उन्होंने स्थान पर कई चीजें खोजीं जैसे कि मोहनजोदड़ो मिट्टी के बर्तन, संगमरमर के मूर्तियाँ, सींगों से बनी चीजें, वस्तुएं आदि।

 

1826 ई. में सर्वप्रथम हड़प्पा टीले का उल्लेख चार्ल्स मैसन द्वारा किया गया। 1856 ई. में कराँची से लाहौर तक रेललाइन बिछाने के दौरान हुई खुदाई में जान बंटन एवं विलियम ब्रेटन नामक अंग्रेजों को कुछ पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुये। 1873 ई. में जनरल कनिंघम को भी कुछ हड़प्पाई पुरावस्तुएँ प्राप्त हुई। दयाराम साहनी ने 1921 ई. में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में रावी नदी के तट पर स्थित हड़प्पा नामक स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन कर कई हड़प्पाई मोहरें प्राप्त कीं। दूसरे ही वर्ष 1922 ई. में राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की। यह स्थान पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के तट पर स्थित था। इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता का उद्भव हुआ और फिर यहाँ हुए पुरातात्विक उत्खननों में एक के बाद एक कई नगर प्राप्त हुये।

पिगट महोदय ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानियाँ बताया है। इनके बीच की दूरी 670 किमी. है।

 

हड़प्पा सभ्यता का काल (PERIOD OF HARAPPAN CIVILIZATION)

हड़प्पा सभ्यता के काल को लेकर विभिन्न विद्वानों में मतभेद हैं। विभिन विद्वानों ने इस सभ्यता का काल निम्नानुसार निर्धारित किया है

विद्वान काल
1. सर जान मार्शल

 

2. अर्नेस्ट मैके

 

3. माधव स्वरूप वत्स

 

4. राधाकुमुद मुखर्जी

 

3250-2750 ई. पू.

 

2800-2500 ई. पू.

 

2700-2500 €. पू.

 

3200-2750 ई.

 

 हड़प्पा नगरों से प्राप्त वस्तुएँ

(THINGS FOUND FROM HARRAPAN CITIES)

पुरातत्वविदों ने हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न स्थलों से पुरातात्विक उत्खनन द्वारा विभिन्न पुरातात्विक सामग्री प्राप्त की। इनके द्वारा प्रस्तुत की गई पुरातात्विक रिपोर्टों में इन वस्तुओं का उल्लेख मिलता है। हड़प्पा सभ्यता के कुछ प्रमुख शहरों से निम्नानुसार सामग्री प्राप्त हुई—

(1) मोहनजोदड़ो मोहनजोदड़ो सिन्धी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता हैमृतकों का टीला। मोहनजोदड़ो के आस-पास की भूमि बड़ी उपजाऊ थी। इसे सिन्ध का बाग कहा जाता था। यहाँ से 1398 मुहरें, पुजारी का सिर, मोम के साँचे, कांस्य की नर्तकी, सभागार, सीप का पैमाना, सूती कपड़े के अवशेष, पानी का जहाज, हाथी का कपाल, शिलाजीत, गाड़ी के पहिये, मेसोपोटामिया की मोहरें, दाढ़ी वाले मनुष्य की प्रतिमा, हाथी दाँत की तराजू, पशुपति की मुद्रा आदि वस्तुएँ प्राप्त हुईं।

(2) हड़प्पायहाँ से स्त्रियों की लघु मृण्मूर्तियाँ, स्त्री की मूर्ति जिसके गर्भ से पौधा निकलता हुआ दिखता है, पत्थर के शिश्न व योनि, ठोस पहिये वाली गाड़ी, प्रसाधन मंजूषा, RH-37 कब्रिस्तान, लकड़ी का हल, लेख युक्त बर्तन, मुखौटे, शंख का बैल, ताँबे की मुहरें, जौ, गेहूँ की भूसी, मटर व तिल की खेती के प्रमाण एवं खरगोश के चित्र वाली मुद्रा मिली है।

(3) चन्हूदड़ोयहाँ से मनके बनाने का कारखाना, अलंकृत हाथी, श्वान, पीतल की बत्तख, लिपिस्टिक, तराजू एवं बैलगाड़ी आदि मिले हैं। यह मोहनजोदड़ो में 128 कि. मी. दूर स्थित है।

(4) लोथल यहाँ से फारस की मोहरें, धान व बाजरे की खेती के प्रमाण, आटा पीसने वाली चक्की, हाथी दाँत का पैमाना, मनकों का कारखाना, कुत्ते की मूर्ति, बकरी की हड्डियाँ, तीन युगल शवाधान एवं गोदी (बन्दरगाह) के प्रमाण मिले हैं।

(5) कालीबंगान यहाँ से अग्निकुंड, बेलनाकार मोहरें, अलंकृत फर्श, ताँबे के बैल की मूर्ति, लकड़ी की नाली, नक्काशीदार ईंटें, मस्तिष्क शोथ की बीमारी वाला कपाल, हल से जुते खेत के साक्ष्य एवं भूकम्प के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं।

(6) बनावलीयहाँ से चक्राकार अंगूठियाँ, नाक व कान की बालियाँ, मछली पकड़ने का काँटा एवं मिट्टी के बने खिलौने आदि मिले हैं।

 

      हड़प्पा सभ्यता की सीमा

  • उत्तरी सीमा-सरायखोला, गुमला घाटी, डाबर कोट । दक्षिणी सीमा-मालवण (ताप्ती नदी घाटी), भगवत राव (नर्मदा घाटी)।
  • पूर्वी सीमा- आलमगीरपुर (हिण्डन नदी के किनारे) ।
  • पश्चिमी सीमा-सुत्कांगेडोर (मकरान का समुद्री तट) ।
  • हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख केन्द्र निम्नवत् हैं-
  1. जम्मू में अखनूर एवं मांडा,
  2. पंजाब (भारत) में रोपड़, संधोल,
  3. पंजाब (पाकिस्तान) हड़प्पा,
  4. गुजरात में रंगपुर, लोथल, सुरकोतड़ा, मालवड़ रोवड़ी,
  5. राजस्थान में कालीबंगान,
  6. उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर,
  7. हरियाणा में मीतांथल, वनबाली, राखीगढ़ी,
  8. बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में डाबरकोट, सुत्काकोह, सुत्कांगेडोर,
  9. सिन्ध (पाकिस्तान) में मोहनजोदड़ो, कोटदीजी, अलीमुराद, चन्हूदड़ो आदि।

 

Important Note ↓

हड़प्पा संस्कृति की खोज 1921 ई. में हुई।

⇒ हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल थे। पिगट महोदय ने इन्हें साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानियाँ कहा है। यह एक नगरीय सभ्यता थी।

⇒ हड़प्पा सभ्यता का क्षेत्रफल 12 99, 660 वर्ग किमी. था।

⇒ हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो के बीच की दूरी 670 किमी. है। मोहनजोदड़ो में प्राप्त विशाल स्नानागार की लम्बाई 88 मी. चौड़ाई 7.01 मी. एवं गहराई 2.43 मी. थी।

⇒ हड़प्पा सभ्यता मिस्र, मेसोपोटामिया, क्रोट, ईरान एवं चीन आदि सभ्यताओं के समकालीन थी।

⇒ मोहनजोदड़ो सिन्धी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है मृतकों का टीला ।

⇒ पुरातत्व संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका अर्थ होता है पुरानी वस्तुओं का तत्व जानना, उनकी रक्षा करना।

⇒ 1875 ई. में सर्वप्रथम हड़प्पाई मोहर पर कनिंघम की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।

⇒ हड़प्पा के धोलावीरा से एक सबसे बड़ा अभिलेख सूचनापटल के रूप में मिला है जिसमें कुल 9 चिह्न है।

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